चौपाई
जैमे भानु उदय उजियारो । दूरि करै जग को अन्धियारो ।।1।।
तैसे जम्भ गुरू जग मांही । सदुपदेश दे तिमिर नशांही ।।2।।
सब शिष्यन के अघ प्रभु हरता । विज्ञानोदय मन में करता ।। 3।।
ऐसा सुना महा उपकारी । क्षण में दे संशय सब टारी ।।4।।
ऐसो है गुरू जम्भ विवेकी । जग में विचरै एकाएकी ।।5।।
हे जम्भेश्वर परम दयालु । दूरी करो अज्ञान कृपालु ।।6।।
हृदय ग्रन्थि सब दूरि भगाओ । मेरे सब सन्देह मिटाओ ।।7।।
धर्म संख्या द्यो मुझे समुझाई । पृथक् पृथक् अब देओ सुनाई ।।8।।
जम्भेश्वर गुरू शब्द सुनायो, जोगी का सन्देह नशायो ।।9।।