बालक मन्त्र


बालक मन्त्र

ओम् शब्द गुरु देव निरंजन । ता इच्छा से भये अंजन ।।
हरि के हाथ पिता के पिष्ट । विष्णु माया उपजी सिष्ट ।।
सप्तधात को उपज्यौ पिंड । नौ दस मास बालो रह्यो अघोर कुंड ।।
अरध मुख ता उरध चरण हुतास । हरी कृपा से भया खलास ।।
जल से न्हाया त्याग्या मल । विष्णु नाम सदा निरमल ।।
विष्णु मंत्र कान जल छूवा । श्री जम्भगुरु कृपा से विश्नोई हुवा  ।।
-: इति बालक मन्त्र सम्पूर्णम् :-