स्वामी वील्हाजी कृत छप्पय

स्वामी वील्हाजी कृत छप्पय 

 ओउम जम्भ गुरु जगदीश ईश् नारायण स्वामी |
निरलेख निरलेप, सकल घट अन्तर्यामी ||
पेट पीठ नहिं ताहिं सकल को सन्मुख दरशे |
 पाप ताप तन हरै, जहां पद पंकज परशे ||
अखै अडोल अनन्त अज अवगत अलख अभेव |
स्वयं स्वरूपी आप हैं जम्भ गुरु जगदीश ||१||
जम्भ गुरु जगदेव भेव कोई विरला पावै |
 रहै शरण जो आय बहुरि भव जल नहीं आवै |
विष्णु रूप अवतार प्रगट पोहमी में आये |
 सतयुग विसरै जिव उन्हीं को आन चेताये ||
विष्णु धर्म प्रगट कियो ,धर्म विकट विहंडनम |
समराथल परगट सही ज्योति स्वरूप जगमंडनम ||२||