गृहस्थ गुरु मन्त्र
(सुगरा मन्त्र)
ओम् शब्द गुरु सूरत चेला । पांच तत्व में रहे अकेला ।।
सहजे जोगी शून्य में वास । पांच तत्व में लियो प्रकाश ।।
ना मेरे माई ना मेरे बाप । अलख निरंजन आपही आप ।।
गंगा यमुना बहै सरस्वती । कोई कोई नहावे बिरला यती ।।
तारक मन्त्र पार गिराम । गुरु बतायो निश्चय नाम ।।
जो कोई सुमिरै उतरै पार । बहुरि न आवै मैली धार ।।