सबद - 83


सबद -   83

            ओ३म् जो नर घोड़े चढ़े पाग न बांधै । ताकी करणी कौन बिचारुं । शुचियारा होयसी आय मिलसी । करड़ा दोजग खारूं । जीव तड़े को रिजक न  मेटूं । मूवां परहथ सारुं । हाथ न धोवै पग न पखालै । नाहर सिंघ नर काजूं ।। जुग अनंत अनंत बरत्या । म्हे सून मंडल का राजूं ॥८३॥