सबद - 82


सबद - 82

           ओ३म् अलख अलख तू अलख न लखणा । तेरा अनन्त इलोलूं ।। कौण सी तेरी करणी पूजै । कौन सैं तिहिं रुप सतूलूं ॥८२॥