शबद 59
शबद 59
ओ३म् पढ कागल वेदूं शास्त्र शबदूं । भूला भूले झंख्या आलूं ।। अहनिश आव घटंती जावै । तेरा सास सबी कसवारूं ।। कइया चन्दा कइया सूरूं । कइया काल बजावत तूरूं ।। ऊर्धक चंदा निरधक सूरूं । सुन घट काल बजावत तूरूं ताछै बहुत भई कसवारूं । रक्तस बिन्दु पर हस निन्दु ।आप सहै तेपण बूझै नहीं गवारूं ।। ५९ ।।