सबद-50


सबद-50 

ओ३म् तइया सांसू तइया मांसू । तइया देह दमोई ।। उत्तम मध्यम क्यूं जाणीजै ? बिबरस देखो लोई ।। जाके बाद बिराम बिरासों सांसो सरसा भोला चालै । ताकै भीतर छोत लकोई ।। जाकै बाद बिराम बिरांसो सांसो भोलो भागे । ताके मूले छोत न होई ।। दिल दिल आप खुदायबंद जाग्यो । सब दिल जाग्यो सोई ।। जो जिंदो हज काबै जाग्यो । थल सिर जाग्यो सोई ॥ नाम विष्णु कै मुसकल घातै । ते काफर सैतानी ।। हिंदू होय कर तीरथ न्हावै ।। पिंड भरावैं । तेपण रह्या इवांणी ।। जोगी होय कै मूंड मुंडावै कान चिरावै । गोरख हटड़ी धोकै । तेपण रह्या इवांणी ।।  तुरकी होय हज काबो धोके । भूला मुसलमाणी ।। के के  पुरूष अवर जागैला । थल जाग्यो निज बाणी । जिहिं कै नादे वेदे शीले सबदे । लक्षणे अंत न पारूं ।। अंजन माहि निरंजन आछै । सो गुरु लक्ष्मण कंवारूं ।।५०।।