सबद-19


सबद-19

            ओ३म् रूप अरूप रमूं, पिण्डे ब्रह्मण्डे। घट-घट अघट रहायों । अनन्त जुगां मैं अमर भणी जूं । ना मेरे पिता न मायों ।। ना मेरे माया न छाया । रूप न रेखा । बाहर भीतर अगम अलेखा ।। लेखा एक निरञ्जन लेसी । जहां चीन्हों तहां पायों।। अड़सठ तीरथ हिरदा भीतर । कोई-कोई गुरुमुख बिरला न्हायों ।।१९।।