सबद-118


सबद-118

ओ३म् सुरगा हूंते शिंभू आयो । कहौ कूणां के काजै ।। नर निरहारी एकलवाई । परगट जोत बिराजै ।। प्रहलादा सूं वाचा कीवी । आयो बारां काजै ।। बारां मैं सू एक घटै तो । सू चेलो गुरु लाजै ।।११८।।