सबद-109


सबद-109

ओ३म् देखत भूली को मनमानै । सेवै बिलोवै बांझ सनानै ।। देखत भूली को मन चेवै । भीतर कोरा बाहर भेवै ।। देखत भूली को मन मांनै । हरि पर हर मिलियो शैताने ।। देखत भूली को मन चेवै । आक बखांणै थंदे मेवै ।। भूलालो भल भूलालो । भूला भूल न भूलू ।। जिहिं ठूठड़िये पान न होता । ते क्यूं चाहत फूलूं ।।१०९।।