सबद-103


सबद-103

ओ३म् देखि अदेख्या सुण्या असुण्या । क्षिमारूप तप कीजै ।। थोड़े माहि थोड़ेरो दीजै । होते नाहिं न कीजै ।। कृष्णी मया तिहूं लोका साक्षी । अमृत फूल फलीजै ।। जोय जोय नांव विष्णु के दीजै । अनन्त गुणा लिख लीजै ।।१०३।।